नकारात्मक सोच से बचें
परीक्षा या इम्तहान (एग्जाम) के संदर्भ में अधिकतर छात्रों के मन में भय समाया रहता है। जब भी परीक्षाओं के दिन नजदीक होते हैं, तब छात्राएं-छात्र (स्टूडेंट्स) अपनी-अपनी कमियां निकालना शुरू कर देते हैं। इस तरह की प्रवृत्ति मनोबल को कमजोर करती है।
अनेक छात्र सोचते हैं कि उनका फेल होना निश्चित है। ऐसी नकारात्मक सोच से छात्र आसान सवालों से बेवजह डरना शुरू कर देते हैं और क्या लिखना है, उसे भी भूल जाते हैं। छात्र-छात्राएं परीक्षा की तैयारी करते समय भी बुरे से बुरे परिणामों की कल्पना करके अपने को और भी परेशान कर लेते हैं। कभी-कभी वे शुरुआत करने के पहले ही हाथ खड़े कर देते हैं। उन्हें लगता है कि मेहनत करने से फायदा क्या, जब सफलता मिलनी ही नहीं है। छात्रों को इस तरह की नकारात्मक सोच से बचना चाहिए। आइए जानते हैं पढ़ाई को दिलचस्प बनाने के संदर्भ में कुछ सार्थक जानकारियां.
पढ़ने के लिए वक्त निकालें
पढ़ने के लिए समय चाहिए। पढ़ना व्यायाम की तरह है। पढ़ने से दिमाग का व्यायाम होता है। एक दिन में बहुत पढ़ाई करना आपको थका भी देगा और अपेक्षित परिणाम भी नहीं मिलेंगे। अगर स्टूडे्ट्स दिन के 24 घंटे, सप्ताह के हर दिन और साल के 365 दिन पढ़ते हैं और सोचते हैं कि वे सफल हो जाएंगे, तो इस बात को भूल जाना ही उनके लिए बेहतर रहेगा। इसी तरह से अगर अनेक स्टूडेंट्स यह सोचते हैं कि वे बहुत प्रतिभाशाली हैं और इम्तहान के आखिरी दिनों में पढ़कर 'टॉप टेन' में आ जाएंगे, तो उन्हें भी सजग हो जाना चाहिए। अनेक वयस्क लोग स्टूडेंट्स के समक्ष उपर्युक्त दोनों प्रकार की सफलताओं से संबंधित उदाहरण पेश करते हैं, लेकिन इन दोनों उदाहरणों से परीक्षार्थी संशय में पड़ जाते हैं। संशय की यह स्थिति छात्र-छात्राओं के अध्ययन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
सफलता पाने के लिए छात्रों को संतुलन बनाना सीखना होगा। इसके लिए स्टूडेंट्स को अभी से प्रयास शुरू करने होंगे। छोटे प्रयासों से शुरू करें। बेस्ट टाइम टेबल का इंतजार न करें। हर प्रयास के बाद कुछ वक्त के लिए अध्ययन को रोक दें और सकारात्मक सोच से स्वयं को प्रोत्साहित करें। पढ़ने के अलावा जो आप करना चाहें, उसके लिए भी समय निकालें, लेकिन जब पढ़ें, तो उसका पूरे मनोयोग से आनंद लें।
लक्ष्य अवश्य बनाएं
परीक्षा के डर से पढ़ना, पढ़ने के लिए स्थायी तौर पर प्रेरणा नहीं बन सकता। दीर्घ-काल में अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए पढ़ने या अध्ययन की प्रवृत्ति स्टूडेंट्स को कहीं ज्यादा प्रेरणा प्रदान कर सकती है। हो सकता है कि अनेक छात्रों ने अभी यह निर्णय न लिया हो कि वे भविष्य में क्या करना या बनना चाहते हैं, पर वे सभी सफल तो होना ही चाहते हैं। जैसे, दीर्घकालिक लक्ष्य(लांग टर्म गोल) से संबंधित विजन दस साल बाद का हो सकता है। इस विजन को सकारात्मक होना चाहिए, जो सफलता से जुड़ा हो। आप उस सकारात्मक विजन को साकार करने के लिए अभी से प्रयास करें और उसे अपनी प्रेरणा बनाएं।
याद रखें सफलता सिर्फ अच्छे नंबरों को प्राप्त करना भर नहीं है। सफलता जीवन को इस तरीके से जीना है कि आप अपने जीवन की समस्याओं को भी पहचान सकें, समझ सकें और उनका समाधान तलाश सकें। आपका विजन आपको पढ़ने के लिए लक्ष्य प्रदान करेगा। सफलतापूर्वक अध्ययन करना आपको जीने का तरीका सिखाता है।
संकोच न करें
अगर स्टूडेंट्स कठिन समय से गुजर रहे हैं, तो लोग उनकी मदद कर सकते हैं। ऐसे लोगों में स्टूडेंट्स के दोस्तों, अध्यापकों, माता-पिता या भाई-बहन को शामिल किया जाता है। अगर आप किसी से अपने मन की बात साझा करते हैं, तो वह व्यक्ति आपकी समस्या का समाधान तलाशने में भी सहायता कर सकता है। अध्ययन में सहायता लेने के मामले में किसी तरह का संकोच न करें। याद रखें, एग्जाम न तो जिंदगी की परिभाषा है और न ही सफलता की। इस तरह की संतुलित सोच आपको परीक्षा में उम्दा प्रदर्शन के लिए प्रेरित करने में सक्षम है।